पाकिस्तान मे इमरान खान की हुकूमत के साथ तहरीक-ए-लब्बैक की बातचीत में इमरान खान की हुकूमत का नाकाम होने का दावा करते हुए बुधवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और जीटी रोड पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर फिर से एक बार "लोंग मार्च" शुरू कर दिया ।
पुलिस वाले इस लोंग मार्च को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं और गुजरांवाला प्रशासन ने भी रेंजर्स की मदद लेने का फैसला किया है. तहरीक-ए-लब्बैक के नेता मुफ्ती उमर अल-अज़हरी ने दावा किया कि उनके कार्यकर्ताओं ने रास्ते की सभी बाधाओं को हटा दिया और आगे बढ़ गए
तरहाब असगर के मुताबिक़ लॉन्ग मार्च फिर शुरू होने के बाद साधुकी नाम की जगह पर पुलिस ने फिर से कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े परंतु पुलिस और तहरीक-ए-लब्बैक कार्यकर्ताओं के बीच भी झड़पें हुई हैं.
पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक झड़प मे पुलिस के एएसआई अकबर की मौत हो गई जबकि तहरीक-ए-लब्बैक ने पुलिस पर तेज़ाब की बोतलें फेंकने और फायरिंग करने का आरोप लगाया है. गुजरांवाला पुलिस के अनुसार घायल पुलिस कर्मियों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती किया गया ।
शुक्रवार को लॉन्ग मार्च शुरू होने के बाद से झड़प में तीन पुलिसकर्मियों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक घायल हो गए हैं. तहरीक-ए-लब्बैक ने यह भी दावा किया है कि उसके दस से अधिक कार्यकर्ता मारे गए और सैकड़ों घायल हुए, परंतु अभी तक इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है ।
फ्रांसीसी राजदूत के निर्वाचन की मांग उठी
तहरीक-ए-लब्बैक के इस मार्च के कारण गुजरांवाला ज़िले में मोबाइल इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है. फ्रांसीसी राजदूत के निर्वासन और साद रिज़वी की रिहाई की मांग को लेकर तहरीक-ए-लब्बैक ने 22 अक्टूबर को लाहौर से एक जुलूस निकालना शुरू किया और 23 अक्टूबर की रात को गुजरांवाला जिले के मुरीद के इलाके में पहुंचा. सरकार और तहरीक-ए-लब्बैक के बीच शुरुआती बातचीत के बाद, तहरीक-ए-लब्बैक ने अपने काफिले को मुरीदके में रहने की घोषणा की और सरकार को 26 अक्टूबर की शाम तक मांगों को पूरा करने का वक्त दिया ।
इस के बाद हज़ारों की संख्या में कार्यकर्ता जीटी रोड पर मुरीदके से इस्लामाबाद की ओर यात्रा करने लगे हैं. काफिले को रोकने के लिए इस्लामाबाद की ओर जाने वाली सड़कों पर भी नाकाबंदी कर दी गई है, जबकि साधुकी के पास सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए गए हैं.
साधुकी में जीटी रोड को पहले ही कंटेनरों से बंद कर दिया गया था. इस्लामाबाद और रावलपिंडी के प्रवेश और निकास पर कंटेनर और बैरियर लगाने का काम मंगलवार शाम से शुरू हो गया था. हालांकि सरकार और टीएलपी के बीच बातचीत शुरू होते ही बाधाओं को अस्थायी रूप से हटाने के आदेश जारी किए गए थे.
इमरान ख़ान हुकूमत के द्वारा इस्लामाबाद और रावलपिंडी को जोड़ने वाले फैज़ाबाद चौक को चारों तरफ़ से पूरी तरह से बंद कर दिया गया है और जबकि रावलपिंडी के मुख्य मार्ग मर्री रोड पर भी कंटेनर कॉल लगा दिया गया और दोनों शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
पुलिस कार्यकर्ताओं के अनुसार इस्लामाबाद में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पुलिस बलों और रेंजर्स को तैनात किया गया है. सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक़, बुधवार सुबह से दोनों शहरों में मेट्रो बस सेवा और मोबाइल फोन सेवा बंद करने का आदेश दिया गया है
इनके मांगों में सबसे बड़ी थी पाकिस्तान में फ्रांसीसी राजदूत का निर्वासन. मुफ्ती उमर अल-अजहरी ने कहा कि इस्लामाबाद की ओर फिर से मार्च करने का फ़ैसला पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने आम सहमति से लिया.उनके अनुसार उनकी पार्टी के कार्यकर्ता इस्लामाबाद ज़रूर पहुंचेंगे क्यों ना कुछ हफ्ते लग जाए .
तहरीक-ए-लब्बैक के एक सदस्य का कहना था कि मंगलवार को गृह मंत्री शेख रशीद ने पार्टी के मजलिस-ए-शूरा के केवल एक सदस्य पीर इनायत शाह के साथ बैठक की थी, जबकि मंगलवार की रात को उन्हें फिर बुलाया गया था परंतु कुछ नहीं हुआ .
मुफ्ती उमर ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक पार्टी अपना मार्च खत्म नहीं करने वाली है. और उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृह मंत्री के नेतृत्व में उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत हुई थी जिसमें सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने दिलासा दिया था कि उनकी मांगों को लागू किया जाएगा परंतु वास्तव में ऐसा नहीं हो पाया
पीर इनायत का कहना है कि जो हमने सरकारी प्रतिनिधिमंडल को सुझाव दिया थे उन्हें यह मामला नेशनल असेंबली की समिति को भेज देना चाहिए और समिति जो भी फैसला करेगी उनकी पार्टी उस चीज को मानेगी
टीएलपी के नेताओं ने दावा किया है कि गृह मंत्री ने मंगलवार को मामले को सुलझाने के लिए गलत बयानी का इस्तेमाल किया.
गृह मंत्री शेख रशीद ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "फ्रांस के राजदूत का निष्कासन टीएलपी की पहली और सबसे बड़ी मांग है, जिसे पूरा करना हमारे लिए मुश्किल है." परंतु उन्होंने ये भी कहा कि वह ऐसी कोई अशांति नहीं चाहते जो पाकिस्तान की अखंडता और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करे.
इसके पहले तहरीक-ए-लब्बैक के प्रमुख साद रिज़वी ने पैगंबर मोहम्मद की ईशनिंदा के मुद्दे पर फ्रांसीसी राजदत के निष्कासन की मांग करते हुए इस्लामाबाद की ओर एक 'लॉन्ग मार्च' की धमकी दी थी. जिसके बाद लाहौर पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था. वे अभी भी क़ैद हैं.
साद रिज़वी पर सरकार के विरोध में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को उकसाने का आरोप लगा था, इस दौरान हिंसा में कई लोग मारे गए और घायल हुए थे. और साद रिज़वी की गिरफ्तारी के बाद, तहरीक-ए-लब्बैक ने देश भर के कई शहरों में हिंसा विरोध प्रदर्शन चालू कर दिया । इतने भयानक हिंसा में कई पुलिस वाले मारे गए और कई पुलिस वाले घायल भी हुए ।
0 Comments