ईद ए मिलाद 2021
भारत में ईद-ए-मीलाद-उन-नबी का त्योहार 18अक्टूबर की शाम से 19अक्टूबर की शाम तक है । ये इस्लाम धर्म का एक मुख्य त्योहार है. अरबी भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ है "जन्म" और "मौलिद-उन-नब" का तात्पर्य है 'हजरत मुहम्मद साहब का जन्मदिन'. हर वर्ष यह त्योहार 12 रबी अल-अव्वल को मनाया जाता है. इस्लाम के अनुयाइयों के लिए ये काफी बड़ा पर्व है. परंतु इसे लेकर कुछ मतभेद भी हैं. क्योंकि ईद-ए मिलाद-उन-नबी के त्योहार को लेकर शिया और शुन्नी मुसलामानों के अलग-अलग विचार मानते हैं ।
पैगंंबर हजरत मोहम्मद और उनके आदर्श के लिए जहां कुछ मुसलमान इसे त्योहार और जश्न के रूप में मनाते हैं उसी जगह कुछ ऐसे भी हैं जो इसे शोक के पर्व के रूप में मनाते हैं. कुरान के मुताबिक़ इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक़ हजरत मोहम्मद साहब का जन्म रबि-उल-अव्वल माह के 12वें दिन 570 ई. को मक्का मदीना में हुआ था. इस ईद-ए-मिलाद को मौलिद मावलिद कहा जाता है. इसका अर्थ है, 'पैगंबर का जन्म दिन'
इसी वजह से सुन्नी मुसलमान इसे पैगम्बर साहब के जन्मदिन के रूप में बहुत उत्साह से मनाते हैं.और इस समुदाय का मानना है कि इस दिन जन्नत का दरवाजा खुलता है ताकि वो पैगंबर साहब की बातों और विचारों को सुन सकें. और इस दिन बहुत सी ऐसी सभाएं कराई जाती हैं जिसमें धर्म की शिक्षा दी जाती है. वहीं इसके विपरीत सुन्नी मुसलमान इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की मृत्यु का जश्न मनाते हैं. इसके लिए वो पूरे महीने शोकाकुल रहते हैं और हजरत साहब की मौत का मातम मनाते हैं.
उपयुक्त जानकारी के अनुसार अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल के माध्यम से पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को कुरान की शिक्षा और संदेश दिया था. पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब मुसलमानों को कुरान का संदेश देने वाले पहले और आखिरी इंसान थे. इसलिए मुस्लिम समुदाय उन्हें बेहद सम्मान के साथ इस समय याद करते है और अपनी-अपनी मान्यता के मुताबिक़ इस त्योहार को मनाते है.
मुस्लिम समुदाय इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद के पैरों के प्रतीक चिन्ह की इबादत करते है. और इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद की याद में मुस्लिम समुदाय जुलूस भी निकालता है.
ईद ए मिलाद का इतिहास
मीलाद उन नबी इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार है । मौलिद शब्द का अर्थ अरबी में "जन्म" होता है । और अरबी भाषा में "मौलिद उन नबी" का मतलब है । हजरत मोहम्मद का जन्मदिन है इस त्यौहार को 12वी अल अब्बल को मनाया जाता है । सन् 1588 में उस्मानिया साम्राज्य में इस त्यौहार का प्रचलन जन मानस मे बहुत प्रचलित हुआ । मवलीद का मूल अरबी भाषा का पद "वलद" है । जिस का अर्थ "जन्मदेना" गर्भधारण या वारिस (वंश) के हैं ।
इनका प्रयोग समकालीन मवलीद या मौलीद या मौलूद प्रेशित मोहम्मद के जन्म तिथि या जन्मदिन को कहा जाता है ।इस दिन संकीर्तन पठन को भी मौलीद कहा जाता है ।जिस में सीरत और नात पढी जाती हैं। . इस पर्व को इन नामों से भी पुकारा और पहचाना जाता है:
- ईद अल-मौलीद अन-नबी – मुहम्मद प्रवक्ता का जन्म दिन (अरबी )
- ईद मीलाद-उन-नबी – ह.मुहम्मद की जन्म तिथी पर ईद (उर्दू) ।
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