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Class-11history chapter -2 notes लेखन कला और शहरी जीवन

लेखन कला और शहरी जीवन

शहरी जीवन का प्रारंभ मेसोपोटामिया में हुआ था ।मेसोपोटामिया फरात और दजला नदियों के बीच स्थित है।एवं आजकल यह प्रदेश इराक गणराज्य का हिस्सा है मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है ।मेसोपोटामिया की लेखन प्रणाली और उसका साहित्य 2000 ईशा  पूर्व के बाद पूर्वी भूमध्यसागरीय प्रदेशों और उत्तरी सीरिया तथा तुर्की में फैला परिणाम स्वरूप उस समस्त क्षेत्र के राज्यों के बीच आपस में यहां तक कि मिस्र के पार आओ के साथ भी मेसोपोटामिया की भाषा और लिपि में लिखा पढ़ी होने लगी ।अभी लिखित इतिहास के आरंभिक काल में मेसोपोटामिया को प्रमुख रूप से इसके शहरीकृत दक्षिण हिस्से को सुमेर और अक्कद  के नाम से जाना जाता था ।2020 अपूर्व के बाद जब बेबीलोन के महत्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिण भाग को बेबीलोनिया कहा जाने लगा जब असीरियाइयो ने लगभग 1100 ईसा पूर्व से उत्तर में अपना राज्य स्थापित कर लिया तब इस क्षेत्र को असीरिया कहा जाने लगा ।मेसोपोटामिया की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरिया यानी स्मेरी थी धीरे-धीरे 2400 ईसा पूर्व के लगभग जब अक्कदी भाषी लोग यहां आ गए तब स्मेरी भाषा की जगह अक्कदी बोलने जाने लगी ।अक्कदी भाषा सिकंदर के समय (336-323 ईसा पूर्व )तक कुछ क्षेत्रीय परिवर्तनों के साथ फलती फूलती रही 1400 ईसा पूर्व से धीरे-धीरे आरामाइक भाषा का भी प्रवेश आरंभ हो गया था यह भाषा हिंब् से मिलती-जुलती थी तथा 1000 ईसा पूर्व के बाद व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी यह आज भी इराक के कुछ भागों में बोली जाती है मेसोपोटामिया में पुरातात्विक खोजों की शुरुआत 1840 के दशक में हुई वहां एक या दो स्थानों पर इसमें उत्खनन कार्य कई दशकों तक चलता रहा।

यूरोपवासियों  के लिए मेसोपोटामिया बहुत ही महत्वपूर्ण था इसका कारण बाइबल के प्रथम भाग 'ओल्ड टेस्टामेंट' में कई संदर्भों में इसका उल्लेख किया जाना है उदाहरण के लिए 'ओल्ड टेस्टामेंट' की 'बुक ऑफ जेनेसिस' मैं 'शिमार'  का उल्लेख है जिसका तात्पर्य अर्थात सुमेर ईटों से बने शहरों की भूमि से है यूरोप के यात्री और विदज्जन  मेसोपोटामिया को एक प्रकार से अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे और जब इस क्षेत्र में पुरातात्विक खोज आरंभ हुई तो ओल्ड टेस्टामेंट के अक्षरश: सत्य को सिद्ध करने का तात्पर्य किया गया ।

19वीं सदी के मध्य से मेसोपोटामिया के अतीत की जानकारी प्राप्त करने के उत्साह  में कभी कोई कमी नहीं आई सन 1873 में जब ब्रिटेन म्यूजियम  जब द्वारा खोज अभियान आरंभ किया गया तब एक ब्रिटिश समाचार पत्र ने इस खोज अभियान का खर्च उठाया इस खोज अभियान के अंतर्गत मेसोपोटामिया में एक ऐसे पट्टिका की खोज की जानी थी जिसपर बाइबिल में उल्लेखित जलप्लावन की कहानी अंकित थी।

1960 के दशक तक यह समझ जाता था कि ओल्ड टेस्टामेंट की कहानी अक्षरश सत्य नहीं है परंतु यह इतिहास में मुख्य महत्वपूर्ण परिवर्तनों के अतीत की अपने ढंग से व्याख्या करती है।धीरे-धीरे पुरातात्विक तकनीकी अधिक से अधिक उन्नत और परिष्कृत होती गई। इसके अतिरिक्त अलग-अलग पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाने लगा, यहां तक कि आम लोगों के जीवन की भी परिकल्पना की जाने लगी। बाइबल की कहानियों की अक्षरश: सच्चाई को प्रमाणित करने का कार्य गौण हो गया ।आगे अन्-भागों में जन हम जिन बातों पर चर्चा करेंगे उनमें से अधिकांश इन परिवर्ती  आधारित है।

मेसोपोटामिया और उसका भूगोल

1)इराक एवं भौगोलिक विविधता वाला देश है इसका पूर्वोत्तर भाग में हरे भरे, ऊंचे-नीचे मैदान है जो धीरे-धीरे वृक्षाच्छादि पर्वत श्रंखला के रूप में फैलता गया है ।

2)इसके साथ ही यहां स्वच्छ झरने  और जंगली फूल भी है इराक में अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है या 7000 से 6000 ईसा पूर्व के बीच खेती का कार्य शुरू हो गया था उत्तरी में ऊंची भूमि है यहां घास के मैदान है जिससे 'स्टेपी' कहा जाता है यहां  पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है ।

3)सर्दियों की वर्षा के बाद भेड़ बकरियां आदि  पशु यहां उगने वाली छोटी-छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण- पोषण करती है पूर्व में दजला की  सहायक नदियां है जो इराक के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन है ।

4)इराक का दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहां सर्वप्रथम शहरों एवं लेखन प्रणाली की शुरुआत हुई इन रेगिस्तान में शहरों के इन भरण- पोषण का साधन बन सके ने की पूर्ण क्षमता थी। इसका कारण फरात और दजाल नामक की नदी है जो उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती रही है जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी को सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता है तब यह उपजाऊ मिट्टी वहां इकट्ठा हो जाती है।

5)प्राचीन समय में  यह  धाराएं सिंचाई की नहरों का काम करती थी। आवश्यकता पड़ने पर इनसे की गेहूं, जो और मटर या मसूर के खेतों की सिंचाई की जाती थी। रोम समाज साहित्य सभी पुराने व्यवस्थाओं में दक्षिण मेसोपोटामिया की खेती सबसे अधिक उपज देने वाली होती थी

शहरीकरण का महत्व

शहर अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य उत्पाद के अतिरिक्त व्यापार, उत्पाद और दूसरे प्रकार की सेवाएं को भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है नगर के लोग आत्मनिर्भर नहीं रहते और वे नगरिया गांव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओ या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होते हैं। उनमें आपस में हमेशा लेन-देन होता रहता है उदाहरण के लिए एक पत्थर के मुद्दा बनाने वाले को पत्थरों खेलने के लिए काशी के औजार की आवश्यकता होती है।वह स्वयं काँसे के औजार नहीं बना सकता और उसे यहां भी नहीं मालूम कि मुद्राओं के लिए आवश्यक रंगीन पत्थर वहां कहां से प्राप्त करें उसकी दक्षता तो सिर्फ   नाक्काशी यानी पत्थर उतरने तक ही सीमित होती है ,वह व्यापार करना नहीं जानता काँसे की औजार बनाने वाला व्यक्ति भी धातु तांबा या रांगा (टिन) लाने के लिए खुद  बाहर नहीं जाता । साथ ही उसे इंधन के लिए हमेशा लकड़ी के कोयले की आवश्यकता होती है इस प्रकार का श्रम विभाजन शहरी जीवन की विशेषता है इसके साथ ही शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना भी आवश्यक है।शहरी विनिर्माताओ के लिए इंधन, धातु ,विभिन्न प्रकार के पत्थर लकड़ी आदि आवश्यक वस्तुएं अलग-अलग स्थानों से आती है जिनके लिए संगठित व्यापार और भंडार के विभिन्न आवश्यकता होती है शहरों में अनाज तथा अन्य खाद्य पदार्थ गांव से आते हैं इसलिए उनके संग्रह तथा वितरण के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है इसके अलावा और भी अनेक प्रकार के क्रियाकलापों में सामजस्य से बैठाना जरूरी होता है।उदाहरण के लिए मुद्रा काटने वालों को केवल पत्थर ही नहीं उन्हें तराशने के लिए प्रचार और बर्तन भी चाहिए स्पष्ट है कि ऐसी  प्रणाली मैं कुछ लोग आदेश देते हैं और दूसरे उनका पालन करते हैं इसके अतिरिक्त शहरी अर्थव्यवस्था को अपना हिसाब किताब लिखित रूप में रखना होता है ।

शहरों में माल की आवाजाही

1)मेसोपोटामिया खाद्य संसाधन के क्षेत्र में चाहे जितना भी समृद्ध रहा हो परंतु वहां खनिज संसाधनों की कमी थी दक्षिण के अधिकांश भागों में औजार मोहरे और आभूषण बनाने के लिए आवश्यक मात्रा में पत्थर उपलब्ध नहीं थे इराकी खजूर के और पोप  लाल के पेड़ों की लकड़ी, गाड़ियाँ, गाड़ियों के पहिए और नावे बनाने के लिए बहुत अच्छी नहीं थी।इसी कारण से प्राचीन काल में मेसोपोटामिया के लोग शायद लकड़ी, तांबा ,रंगा ,चांदी ,सोना, सीपी और विभिन्न किशन के पत्थर को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी -पार देशों से मंगवाते थे ।

2)दक्षिण मेसोपोटामिया के लोगों ने ऐसे संगठन स्थापित करने की शुरुआत की ।शहरी विकास के लिए शिल्फ, व्यापार और सेवाओं के साथ-साथ, कुशल परिवहन व्यवस्था का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है ।

लेखन कला का विकास

प्रत्येक समाज की अपनी एक भाषा होती है जिसमें उच्चरित ध्वनियाँ अपना अर्थ प्रकट करती है। इसे  मौखिक या शाब्दिक भावाभिव्यक्ति  कहते हैं मौखिक भावाभिव्यक्ति के से लेखन उतना विभिन्न नहीं है जितना हम अक्सर समझते हैं लेखन या लिपि का अर्थ है। उच्चरित घ्वनियाँ, जो दृश्य संकेतों या चिहो के रूप में प्रस्तुत की जाती है।

मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ मिली है पर लगभग 3200 ई.प्. की है इन पट्टिकाओं में चित्र जैसे चिन्ह और संख्याएं दी गई है उनमें बैलों, मछलियों और रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ पाई गई है, जो वहां के दक्षिणी शहर उस्क के मंदिरों में आने वाली और वहां से बाहर   जाने वाली चीजों की होगी। स्पष्ट है कि, लेखन कार्य तभी शुरू हुआ होगा जब समाज को अपने लेन-देन का स्थाई हिसाब रखने की जरूरत पड़ती होगी क्योंकि शहरी जीवन में लेनदेन भी भिन्न-भिन्न पर समय पर होता था ।

मेसोपोटामिया में लोग मिट्टी की पट्टिकाओ पर लिखने का काम करते थे लिपिक पहले चिकनी मिट्टी को गिला करता था और उसके बाद उसको ग्ंध कर और थापकर एक  ऐसे आकर  की पट्टी का रूप दे देते था जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ मैं  पकड़ सके। वह सावधानीपूर्वक पट्टिका के सताओ को चिकना बना लेता था उसके बाद सरकंडे की तिल्ली की तीखी नोक से वहां उसकी नाम चिकनी सतह पर कीलाकार चिन्ह बना देता था जब यह पटिकाएं धूप में सूख कर पक्की हो जाती थी तब बे  मिट्टी के बर्तनों जैसे ही मजबूत हो जाती थी ।उन पर लिखा हुआ कोई भी हिसाब जैसे धातु के टुकड़े सौंपने का हिसाब जब असंगत या गैर जरूरी हो जाता है तो उस पट्टिका को फेंक दिया जाता था इन पट्टिकाओं के एक बार सूख जाने के बाद उस  पर कोई नया चीज नहीं या अक्षर नहीं लिखा जा सकता था इस प्रकार प्रत्येक सौंदे के चिन्ह एक अलग-अलग पट्टिका की जरूरत होती थी चाहे वह सौदा की कितना ही छोटा क्यों ना हो ।इसलिए मेसोपोटामिया के  खुदाई स्थानों पर सैकड़ों पट्टिकाओं प्राप्त हुए हैं और इनका पट्टिकाओं के माध्यम से ही आज हम मेसोपोटामिया के विषय में इतना कुछ जानते हैं।

लेखन प्रणाली

मेसोपोटामिया में लेखन कार्य में जिस ध्वनि के लिए किलक्षण या कीलाकार अच्छा संकेत का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता है(जैसे अंग्रेजी वर्णमाला में m या a)बल्कि अक्षर  (syllabus )होते थे (जैसे अंग्रेजी मैं -        put-,या- la-या - in -)इस प्रकार मेसोपोटामिया के लिपिक को लिखने के लिए सैकड़ों चिन्ह सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था ।लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की जरूरत होती थी इसलिए लेखन कार्य बहुत अधिक महत्व माना जाता था। इस प्रकार इस भाषा - विशेष प्रकार की ध्वनियों को एक दृश्य के रूप में प्रस्तुत करने को एक महान बौद्धिक उपलब्धि माना जाता था ।

दक्षिण में मेसोपोटामिया का शहरीकरण -मंदिर और राजा

दक्षिण मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास 5000 ईसा पूर्व से होने लगा था इन बस्तियों में कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप ले लिया यह शहर कई प्रकार के थे सर्वप्रथम वे शहर जो मंदिरो के चारों और विकसित हुए दूसरे वह शहर जो व्यापार के केंद्रों  रूप में विकसित हुए।

बाहर  से आकर बसने वाले लोगों ने (उनके मूल स्थान का पता नहीं )अपने गांव में कुछ चुने हुए स्थानों या मंदिरों को बनाना या उनका पूर्णनिर्माण करना शुरू किया दक्षिण मेसोपोटामिया का सबसे पहला ज्ञात मंदिर एक छोटा सा देवालय था जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था मंदिर विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं के निवास स्थान थे जैसे और जो चंद देवता थे और इन्नाना जो प्रेम और युद्ध की देवी थी यह मंदिर ईटों से बनाए जाते थे और समय के साथ बड़े होते जाते थे क्योंकि उनके खुले आँगनो के चारों  तरफ कई कमरे बने होते थे प्रारंभ में मंदिर साधारण घरों से अलग किस्म के नहीं होते थे क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही होता था परंतु मंदिरों की भारी दीवारें कुछ खास अंतराल के बाद भीतर और बाहर की और मूडी हुई होती थी जबकि साधारण घरों की दीवारें ऐसी नहीं होती थी ।

देवी देवता पूजा का केंद्र बिंदु होते थे लोग उनके लिए अन्न, दही ,मछली लाते थे (प्राचीन समय के कुछ मंदिरों के परसों पर मछली की हड्डियों की परते जमी हुई  मिलती हैं )।

जिमरीलिमी का मारी स्थित राजमहल (1810-1760 ईसा पूर्व )

माली का राज में काफी विशाल था यह राज महल वहां के शाही परिवार के निवास स्थान के साथ-साथ प्रशासन एवं उत्पाद विशेष रूप से कीमती धातुओं के आभूषण के निर्माण का मुख्य केंद्र भी था अपने समय में वहां काफी प्रसिद्ध था और उसे देखने के लिए ही उत्तरी सीरिया का एक छोटा राजा आया था वहां अपने साथ मारी के राजा जिमरीलिम के नाम उसके एक अन्य राजा का परिचय पत्र लेकर वहां आया था। दैनिक सूचियों से ज्ञात होता है कि वह जब राजा भोजन के लिए जाते थे तो भोजन की मेज पर प्रत्येक दिन भारी मात्रा में खाद पदार्थ पेश किए जाते थे- आटा ,रोटी ,मांस ,मछली, फल मदरिया तथा बियर  वह शायद अपने भोजन अपने अन्य साथियों के साथ सफेद पत्थर जड़े आगर (106) में बैठकर किया करता था नक्शा देखने से आप यह पता लगा सकते हैं कि राज महल में केवल एक ही प्रवेश द्वार था जो उत्तर की ओर निर्मित था उसके विशाल खुले पाँगण( जैसे 131)सुंदर पत्थरों से जुड़े हुए थे राजा विदेशी अतिथियों तथा अपने प्रमुख लोगों से कमरा 132 में मिला करता था उस कमरे के भीतर चित्रों को देखकर अागंतुक लोग अचंभित  रह जाते थे राज महल 2.4 हेक्टेयर के क्षेत्र में स्थित एक बेहद  विशाल भवन था जिसमें 260 कक्ष बने हुए थे। 

मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरों का महत्व

मेसोपोटामिया के लोग शहरी जीवन को शायद महत्व देते थे चेहरों में अनेक समुदायों एवं संस्कृतियों के लोग साथ-साथ रहा करते थे युद्ध में शहरों के नष्ट हो जाने के पश्चात वे अपने काव्यो के माफॆत उन्हें शायद किया करते थे।मेसोपोटामिया वासियों को अपने नगर पर कितना अधि के का गर्व था इस बात का सबसे अधिक ममॆस्पशी वृतांत हमें गिल्गेमिश महाकाव्य के अंतर में मिलता है इस काव्य को 12 पट्टिकाओ पर लिखा गया  था ऐसा विश्वास किया जाता है कि गिल्गेमिश ने एनमकॆर के कुछ समय पश्चात उरक नगर प्रशासन किया था वह एक महान योद्धा था उनसे दूर-दूर तक प्रदेशों का अपने अधीन कर लिया था परंतु उसे उस समय गहरा धक्का लगा जब उसके वीर मित्र की अचानक मौत हो गई इससे दुखी  होकर वह अमरत्व की खोज में निकल पड़ा उसने सागरों महासागरों को पार किया और सारी दुनिया का चक्कर लगाया परंतु है अपने इस साहसिक कार्य में सफल ना हो सका ।आखिरकार गिल्गमिश अपने नगर उरक लौट आया वह  जब वहां अपने आप को सांत्वना देने के लिए शहर की चारदीवारी के पास आगे पीछे चहलकदमी कर रहा था तभी उसकी दृष्टि उन पक्की ईंटों पर पड़ी जिसने उसकी नींव डाली गई थी वह भावविभोर हो उठा ।इस प्रकार उरक नगर की विशाल प्राचीन पर आकर उस महाकाव्य की लंबी वीरतापूर्ण  और साहस भरी कथा का पर पराक्षेप  हो गया यह  गिल्गेमिस, एक  जनजाति योद्धा की भांति यहां नहीं कहता कि उसका अंत निश्चित हो है पर उसके पुत्र को जीवित रहेंगे और इस नगर का आनंद लेंगे इस तरह उसने अपने नगर में ही सात्वना मिलती है जिस उसकी प्यारी प्रजा ने बनाया था ।    

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