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भगत सिंह कौन थे (भगत सिंह की मौत कैसे हुई थी )

भगत सिंह कौन थे 

भगत सिंह एक बहुत बड़े क्रांतिकारी थे । उनका जन्म सन् 1960 में लाहौर में हुआ था जो आज वर्तमान समय में पाकिस्तान में है ।उनके पिता का नाम किशन सिंह था और इनकी माता का नाम विद्यावती कोर था। 

शिक्षा और इनका जीवन 

इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा Dayanhd Angle Vedic School (D.A.V.Sacramento).

ये बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे इन्होंने बचपन में कई किताबें पढ़ चुके थे ।इनके अंदर आजादी को लेकर जुनून था ।वह जुनून 12 वर्ष की आयु से ही दिखाई देने लगा गया था।1919 में भगत सिंह भी जलियांवाला बाग हत्याकांड में शामिल थे ।1922 में इन्होंने नारा लगाया कि गौरो भारत छोड़ो और वापस जाओ । भगत सिंह गरम दल के समर्थक थे ।और यह गांधी की बातों को अनसुना करते थे ।क्योंकि गांधीजी शांति का मार्ग अपनाते थे ।इन्होंने लाला लाजपत राय कॉलेज जो कि पंजाब में है उससे अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की यह कॉलेज वर्तमान समय में पाकिस्तान में है ।''इनके अंदर एकाकी की भावना थी ''

काकोरी कांड (1925 )

पंडित आजाद की टीम से जुड़ गए उसके बाद 1925 में जब भगत सिंह 18 वर्ष के थे तो इन्होंने काकोरी कांड की तैयारी कर ली और और पैसों की जरूरत थी तो अंग्रेजी खजाने को लूट लिया और काकोरी कांड को सफल बनाया ।और पकड़े जाने पर इनके दो दोस्त अशवाक उल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी हो गई ।

लाला लाजपत राय की मौत 

28 जनवरी 1865 को इनका जन्म हुआ और इनकी मौत 17 नवंबर 1928 ।लाला लाजपत राय एक क्रांतिकारी थे ।लाला लाजपत राय और भगत सिंह ने मिलकर साइमन कमीशन के खिलाफ लाहौर में आंदोलन छेड़ दिया ।अंग्रेजों के साथ मुठभेड़ में लाला लाजपत राय की मौत हो गई ।इसके बाद भगत सिंह ने लाहौर की कोतवाली स्कॉट को मारने की प्लानिंग की लेकिन गलती से डिप्टी सुप्रीमत पुलिस को गोली मार दी ।इससे भगत सिंह ने लाला लाजपत राय का बदला ले लिया ।

भगत सिंह की मौत 

इसके बाद भगत सिंह ने भेष बदलकर कोलकाता की ट्रेन पकड़ी वहां जाने के बाद वहां पर ब्रिटिश मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ आंदोलन किया परंतु ब्रिटिश ने उन्हें सुन नहीं रहे थे उसके बाद बटुकेश्वर के साथ मिलकर धुअे वाले बम बनाए और उसके साथ पर्चियां भी लिखें ।और सुबह असेंबली सेंटर में जाकर वहां पर धुअे के बम गिराए और उसके साथ पर्चियां भी फेंकी उन पर्चियो में लिखा था कि बहरों को सुनाने के लिए धमाका जरूरी है । इन्होंने खुद अपने आप को अंग्रेजी हुकूमत के हवाले कर दिया था वह अंग्रेजी हुकूमत को देखकर भागे नहीं और उन्होंने कहा इंकलाब जिंदाबाद और खुद गिरफ्तार हो गए भगत सिंह ने कहा मुझे तुम्हारी गुलामी नहीं करनी मुझे गोली मार दो लेकिन उन्हें जेल में ले जाया गया भगत सिंह ने जेल के अंदर 64 दिन का अंनजल अनशन चालू किया उन्होंने 64 दिन तक कुछ भी नहीं खाया और हंसते रहे अंग्रेज उन्हें देखकर बुरी तरह डर गए थे उन्होंने जेल में हंसते-हंसते भूखे पेट एक शायरी भी कहीं जब अंग्रेजी ऑफ इसरो ने उनसे पूछा कि तुम पागल हो क्या भूखे पेट मर जाओगे तुम्हें जख्म आ जाएंगे तब भगत सिंह ने कहा मेरे सीने में जो जख्म है ,वह तो फूल के गुच्छे हैं ,हमें पागल ही रहने दो ,हम तो पागल ही अच्छे हैं । अंग्रेजों पर दवा पढ़ रहा था इसीलिए अंग्रेजों ने घबराकर 23 मार्च 1931 को आनन-फानन में भगत सिंह का फांसी का ऐलान कर दिया था यह बात सुनकर भगत सिंह जोर जोर से हंसने लगे और उन्होंने कहा कि मेरे हाथ बांधना मत और मेरे मुंह पर कपड़ा भी  मत लगाना मगर अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी एक न सुनी और वह दिन आ ही गया जब 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई इससे यह पता चलता है कि भगत सिंह भारत के सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक थे ।

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