पृथ्वीराज चौहान कौन थे
पृथ्वीराज चौहान के जन्म को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है ।कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान का जन्म महाकाव्य के अनुसार 1 जून 1163 गुजरात राज्य के पाटक पन्तन में हुआ ।और कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि उनका जन्म 1168 मे अजमेर के राजा सोमेक्ष्वप चौहान के घर पैदा हुए थे ।
इनके वंशज में 6भाषा बोली जाती थी ।
संस्कृत,प्राकृत ,मागघी,पैशाची,शौरसेनी और अंपभ्रंश।इन भाषाओं को बोलने में पृथ्वीराज चौहान बहुत निर्गुण थे ।
पृथ्वीराज चौहान को गणित, पुराण ,इतिहास सैन्य विज्ञान और चिकित्सा की बहुत ज्यादा समझ थी ।
पृथ्वीराज चौहान संगीत कला और चित्र बनाने में भी प्रारंगत थे ।
पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चलाने में भी निर्गुण थे ।
जब वह 13 वर्ष के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई थी ।और उन्हें इतने छोटे से उम्र में अजमेर की गड्डी मिल गई ।
पृथ्वीराज चौहान एक प्रतिभाशाली शासक थे। अंगद जो कि इनके दादा थे जो कि दिल्ली के शासक थे ।उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का अगला उत्तराधिकारी चुन लिया ।
पृथ्वीराज चौहान जब दिल्ली के गद्दी पर विराजने के बाद उन्होंने किला राय पिथौरा का निर्माण करवाया ।
पृथ्वीराज चौहान 13 वर्ष की आयु में गुजरात के भीमदेव जो कि एक महान शासक थे उन्हें हरा दिया था ।
पृथ्वीराज चौहान के पास 300 हाथिया और 3 लाख सैनिक थे ।जिससे वह एक महान शासक माने जाते थे ।
पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी
पृथ्वीराज चौहान की पहली शादी 11 वर्ष की उम्र में हो गई थी ।और उनकी शादी हर वर्ष होती थी जब तक वह 22 साल के नहीं हो गए ।
कन्नौज के राजा जयचंद पृथ्वीराज चौहान को अपना दुश्मन मानते थे ।उन्हीं की पुत्री संयोगिता जो कि पृथ्वीराज चौहान को अपना वर मान चुकी थी ।जब इसका पता जयचंद को लगा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया ।तो उन्होंने अपनी पुत्री के स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाया और उनका उपहास उड़ाने के लिए उनकी मूर्ति बनाकर दरबार के बाहर खड़ी करती ।परंतु उनकी पुत्री ने पृथ्वीराज चौहान को प्रेम संदेश के साथ सैंपल में आने का पत्र भेज दिया।जब स्वयंवर में संयोगिता ने किसी भी राजा को नहीं चुना और पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति को माला पहना दी ।और तभी पृथ्वीराज चौहान घोड़े पर आ गए और संयोगिता को लेकर चले गए और उसके साथ गान्धर्वविवाह विवाह कर लिया और संयोगिता को अपनी अर्धांगिनी बना लिया ।
पृथ्वीराज चौहान की मौत
पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को 17 बार मात दे दी ।परंतु वह 18 वी बार मोहम्मद गोरी से हार गये मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान और उनके दोस्त चंद्रवरदाई को पकड़ कर ले गए ।उन दोनों को बंदी बना लिया गया था उन दोनों को कारागृह में डाल दिया और जंजीरों से बांध दिया फिर उसके बाद उन्होंने पृथ्वीराज चौहान की आंखें फोड़ दी और चंद्रवरदाई से पूछा कि वह पृथ्वीराज चौहान से पूछे कि उसकी आखिरी इच्छा क्या है । चंद्रवरदाई ने मोहम्मद गौरी को बताया कि पृथ्वीराज चौहान शब्द भेदी बाण बहुत अच्छा चलाते हैं इसके बाद मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को कला प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी इसके बाद चंद्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान ने एक योजना बनाई ।
जब यह प्रतियोगिता चालू हुई तो चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज चौहान से काव्यत भाषा में कहा "चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान " उस दोहे को सुनकर पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण का संघार किया और मोहम्मद गौरी के गले पर मार दिया जिससे मोहम्मद गौरी की मृत्यु हो गई और पृथ्वीराज चौहान ने अपने अपमान का बदला ले लिया और उसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चंद्रवरदाई ने एक दूसरे की हत्या कर दी इसी तरह पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु हुई ।
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