चंद्रशेखर आजाद कौन थे
चंद्रशेखर आजाद एक क्रांतिकारी थे इनका जन्म 23 जुलाई 1906 को भावर नामक गांव जो कि मध्य प्रदेश में है ।इनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था ।इनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और उनकी माता का नाम जगरानी तिवारी था ।चंद्रशेखर आजाद मूल रूप से ब्राह्मण परिवार से थे ।
चंद्रशेखर आजाद के प्रमुख आंदोलन
1921 असहयोग आंदोलन
1921 में चंद्रशेखर आजाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया ।चोरा चोरी हत्याकांड के दौरान गांधी जी ने एकदम असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया ।उसके बाद रामप्रसाद बिस्मिल्लाह, शचीन्द्रनाथ सान्याल, योगेशचंन्द्र चटर्जी ने 1928 में उत्तर भारत के क्रांतिकारियों को मिलाकर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन का गठन किया ।चंद्रशेखर आजाद भी इस संघ में आकर मिल गए ।धन इकट्ठा करने के लिए चोरी और डकैती करने लगे ।परंतु उनका एक उसूल था कि वह कभी महिलाओं पर हाथ नहीं उठाएंगे ।परंतु एक समय ऐसा आया कि डकैती करते समय आजाद से एक महिला ने पिस्तौल छीन ली और गांव वालों के इकट्ठा होने से पहले राम प्रसाद बिस्मिल लाने उस औरत को खींचकर चांटा मारा और उससे पिस्तौल छीन कर भाग गए उस दिन से उन्होंने निर्णय लिया कि वह सरकारी प्रतिष्ठानों कोही लूटेंगे ।
काकोरी कांड
2 अगस्त 1925 में पंडित आजाद और उनके साथी गणो ने काकोरी कांड को अंजाम दिया ।उसे पूरी तरह से लूट लिया इनके दो साथी गणों को अंग्रेजों ने पकड़ लिया अशफाक उल्ला खान और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को अंग्रेजों ने फांसी दे दी परंतु चंद्रशेखर आजाद को पकड़ना सके ।
लाला लाजपत राय की मौत
28 जनवरी 1865 को इनका जन्म हुआ और इनकी मौत 17 नवंबर 1928 ।लाला लाजपत राय एक क्रांतिकारी थे ।लाला लाजपत राय और चंद्रशेखर आजाद ने मिलकर साइमन कमीशन के खिलाफ लाहौर में आंदोलन छेड़ दिया ।अंग्रेजों के साथ मुठभेड़ में लाला लाजपत राय की मौत हो गई ।इसके बाद आजाद और भगत सिंह ने मिलकर लाहौर की कोतवाली स्कॉट को मारने की प्लानिंग की लेकिन गलती से डिप्टी सुप्रीमत पुलिस को गोली मार दी ।इससे आजाद और भगत सिंह ने लाला लाजपत राय का बदला ले लिया ।
चंद्रशेखर की मौत
इसके बाद आजाद और भगत सिंह ने भेष बदलकर कोलकाता की ट्रेन पकड़ी वहां जाने के बाद वहां पर ब्रिटिश मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ आंदोलन किया परंतु ब्रिटिश ने उन्हें सुन नहीं रहे थे उसके बाद बटुकेश्वर के साथ मिलकर धुअे वाले बम बनाए और उसके साथ पर्चियां भी लिखें । 8 अप्रैल 1929 की सुबह असेंबली सेंटर में जाकर वहां पर धुअे के बम गिराए और उसके साथ पर्चियां भी फेंकी उन पर्चियो में लिखा था कि बहरों को सुनाने के लिए धमाका जरूरी है । भगत सिंह ने खुद अपने आप को अंग्रेजी हुकूमत के हवाले कर दिया था ।चंद्रशेखर आजाद वहां से बच कर निकल गए ।उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद जो वर्तमान समय में प्रयागराज है ।चंद्रशेखर वहां चले गए उन्होंने वहां से भगत सिंह को छुड़ाने की कई कोशिश कि परंतु वे असफल रहे ।27 फरवरी 1931 अंग्रेजों को इनके बारे में पता चल गया कि वह कहां पर है जब अंग्रेज उन्हें पकड़ने आए तो तो उन्होंने तीन पुलिसवालों को मार दिया और जब उनके बंदूक में एक गोली बची तो उन्होंने वह गोली स्वयं को ही मार दी और वीरगति को प्राप्त हो गए ।
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