गांधी जी कौन थे 

मोहनदास करमचंद गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 मे पोरबंदर में हुआ था ।इनके पिता का नाम करमचंद गांधी था ।और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गांधी था ।गांधी जी अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी थे ।

शिक्षा और परिवारिक जीवन 

गांधीजी ने अपनी आरंभिक शिक्षा पोरबंदर से की और 1883 मे उनकी 13 वर्ष की उम्र में शादी करवा दी गई ।और उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था ।1888 वे ब्रिटेन गये और वहां पर वे UCL FACULTY OF LAWS.से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की ।और उनके परिवार में उनकी एक बड़ी बहन रलियत थी ।और दो बड़े भाई लक्ष्मीदास और कृष्णदास थे ।और साथ ही दो भाभी थी । नंद कुबेरबेन और गंगा । गांधी जी के परिवार में चार बेटे और 13 पोते- पोतियाँ है ।गांधी जी के परिवार की बात करें तो उनके पोते- पोतियाँ और उनके 154 वंशज आज 6 देशों में रह रहे है।


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उद्घाटन समारोह
 

गांधीजी विदेश से जनवरी 1915 को भारत वापस आए थे ।उसके बाद फरवरी 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय उद्घाटन में गांधी जी को बुलाया गया था ।जब स्टेज पर गांधीजी की बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा कि हमारे लिए स्वशासन का तब तक कोई अभिप्राय नहीं है । जब तक हम किसानों से उनके श्रम का लगभग संपूर्ण लाभ स्वयं तथा अन्य लोगों को ले लेने की अनुमति देते रहेंगे ।हमारी मुक्ति केवल किसानों के माध्यम से ही हो सकती है ।ना तो वकील ना डॉक्टर और ना ही जमीदार इसे सुरक्षित रख सकते हैं इस भाषण से गांधीजी लोगों के बीच आने लगे ।


चंपारण सत्याग्रह आंदोलन (1917)

अंग्रेजों ने चंपारण में किसानों पर कई अत्याचार करते थे ।जैसे कि किसानों को उनके मर्जी से फसल उगाने नहीं देते थे। अंग्रेज ने अंग्रेज तो नीचे जमीनों पर उन्हें नींद और कपास की खेती करने को मजबूर करते थे ।और फसल ऊगजाने पर बहुत सस्ती कीमत पर बेच दिया करते थे ।और अंग्रेज इनसे कई अधिक कर पसूला करते थे मौसम की बदलती स्थिति और अधिक करो की वजह से किसानों को अत्यधिक गरीबी का सामना करना पड़ा जब इसका पता गांधी जी को चला तो तुरंत जिले का दौरा करने को गए इसके बाद गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दृष्टिकोण को अपनाया और प्रदर्शन शुरू किया और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया इतना आंदोलन होने के बाद अंग्रेजों ने गांधी जी की बात को मान ली अंग्रेजों ने राजेश को कम कर लिया और उन्हें उनके पसंद से फसलों को उगाने के अनुमति मिल गई ।ये पहले भारतीय थे जिन्होंने अंग्रेजों को उन्हीं के अदालत में मात दी थी ।


1918 का खेड़ा आंदोलन
 

गुजरात के जिले खेड़ा में बाढ़ के कारण फसलें नष्ट हो गई जिससे किसानों ने कर मैं कुछ छूट की मांग की परंतु अंग्रेजी सरकारों ने इसे मना कर दिया इसलिए गांधी जी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेत्रों में किसानों ने अंग्रेजो के खिलाफ एक आंदोलन किया ।अंग्रेजों ने धमकी दी कि आप लोगों ने यह आंदोलन बंद नहीं किया तो हमे जबरदस्ती आप की जमीन जप्त करनी पड़ेगी ।इस धमकी से किसान बिल्कुल नहीं डरे और आंदोलन 5 महीने तक करते रहे 1918 में जब तक जल प्रयले समाप्त नहीं हुआ तो अंग्रेजी सरकारों ने किसानों से कर वसूला बंद कर दिया और जो अंग्रेजों ने उनकी जमीन पर कब्जा किया था तो उन्हें भी वापस कर दिया गया ।

अहमदाबाद मेल हड़ताल 

1918 मे गांधी जी का यह दूसरा आंदोलन था जिसमें अहमदाबाद में कपड़े की मिलों में काम करने वालों के लिए काम करने की बेहतर स्थितियों के लिए आंदोलन किया ।

1919 से 1924 तक चला खिलाफत आंदोलन  

प्रथम विश्व युद्ध में टर्की में एक धर्मगुरु खलीफा हुआ करते थे अंग्रेजों ने उन्हें गति से हटा दिया उसे देखकर पूरी दुनिया के मुसलमान गुस्सा हो गए अंग्रेजो के खिलाफ खिलाफत आंदोलन छेड़ दिया गांधी जी ने इस आंदोलन में भाग लिया और 1919 मुंबई में गांधीजी खलीफात आंदोलन के अध्यक्ष बने तब तक गांधीजी एक प्रसिद्ध नेता बन चुके थे ।

खलीफात आंदोलन के प्रमुख नेता   

अली बंन्धु , मौलाना आजाद ,हाकिम अजमल खान और हजरत मोहिनी ने मिलकर खिलाफत समिति का गठन किया ।

1920 में चला असहयोग आंदोलन 

1914 से 1918 के प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेम प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया और बिना जांच के कारावास की अनुमति दे दी ।उस समय ''सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया ।इसके बाद गांधी जी ने देश भर में ''रॉयल एक्ट ''के खिलाफ एक अभियान चलाया उत्तरी और दक्षिण भारत के कस्बों में चारों तरफ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग तृषा गया था पंजाब में विशेष रुप से कड़ा विरोध हुआ जहां के बहुत से लोग ने युद्ध में अंग्रेजो के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले में इनाम क्या अपेक्षा कर रहे थे लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉयल एक्ट दिया गया पंजाब जाते समय गांधी जी को कैद कर लिया गया स्थानीय कॉन्ग्रेस जनों को गिरफ्तार कर लिया गया था प्रांत है कि यह स्थिति धीरे-धीरे और हजारों की संख्या में किसानों ,श्रमिकों और कारीगरों ने भी इस में भाग लेना शुरू कर दिया इनमें से कई गांधीजी के प्रति आदर व्यक्त करते हुए उन्हें अपना "महात्मा "कहने लगे ।इसके बाद अप्रैल 1919 में अमृतसर में खून खराबा होने के कारण वहां पर एक ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रीय वादी सभा पर गोली चलाने का हुकुम दिया ।इससे भडके हुए लोगों ने एक पुलिस स्टेशन पर आग लगा दी और उसमें कई पुलिसवालों की जान चली गई ।
चोरी चौरा कांड 

फरवरी 1922 में किसानों के एक समूह ने संयुक्त प्रांत के चोरा चोरी पुरावा मे एक पुलिस स्टेशन पर आक्रमण करके उसमें आग लगा दी ।इस अग्निकांड में कई पुलिसवालों की जान चली गई हिंसा के इस कार्यवाही से गांधी जी को 1922 में यह आंदोलन वापस लेना पड़ा ।

नमक सत्याग्रह दांडी आंदोलन 

1930 में अंग्रेजों ने नमक के दाम को बढ़ा दिया जिस कारण से गरीब इंसान नमक को खरीद नहीं पा रहे थे ।नमक का उपयोग हर घर में उपयोग अपरिहार्थ था।अंग्रेज नमक को ऊंचे दामों में खरीदने के लिए लोगों को बाध्य कर रहे थे।गांधी जी ने इसके खिलाफ कदम उठाया ।9 मार्च 1930 मैं अहमदाबाद साबरमती से गांधीजी और उनके साथ 78 लोग समुंद्रीतटरिया गांव दांडी के लिए पैदल निकले ।साबरमती से दांडी की दूरी (390 किलोमीटर )थी।पैदल चलते समय गांधी जी के साथ कई लोग जुड़ते चले गए ।समुंद्र तटीय पर पहुंचने पर उन्हीं के एक घर में विश्राम किए ।सुबह होने पर गांधीजी ने स्नान करने के बाद उस स्थान पर गए जहां पर नमक मिलता है ।उन्होंने वहां पर मिट्टी भर नमक उठाकर नमक बनाकर स्वयं को कानून की निगाह में अपराधी बना दिया ।इसी बीच देश के अन्य भागों में लगातार नमक यात्रा आयोजित की गई ।इस आंदोलन में अंग्रेजों ने लगभग 60000 लोगों को गिरफ्तार किया ।इसके साथ गांधी जी को भी गिरफ्तार कर लिया ।इसकी जानकारी हमें पुलिस अफसरों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट से पता लगती है ।
गांधी जी की मौत कब हुई थी 

नई दिल्ली, स्थित बिड़ला भवन मे नाथूराम महोदयसे ले सन् 30 जनवरी 1948 की शाम को महात्मा गांधी जी को गोली मार दी ।