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अफगानिस्तान का इतिहास

अफगानिस्तान का इतिहास

सन् 1960 के दशक में अफगानिस्तान पर राजा जाहिर शाह का शासन था उन्होंने अफगानिस्तान में कुछ सुधार किए जैसे -

1)-महिलाओं के शिक्षा पर जोर देना ।

2)-उन्होंने जनता को राजनीतिक अधिकार दिए ।

इसके बाद दाऊद खान ने सन् 1973 में जाहिर शाह का तख्तापलट कर दिया और सत्ता को हथियार या कुछ समय के बाद इसका भी तख्तापलट हो गया।

अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन

PDPA- peoples democratic party of Afghanistan .

सन् 1978 में अफगानिस्तान पर कम्युनिस्ट पार्टी का शासन हो गया ।कम्युनिस्ट पार्टी ने यहां के गरीब लोगों के लिए कुछ सुधार करने का प्रयास किया ।अफगानिस्तान मैच इन लोगों पर अधिक जमीन थी उन लोगों से कुछ जमीन का हिस्सा लेते थे और वह जमीन का हिस्सा उन लोगों को देते थे जिन पर जमीन नहीं हुआ करती थी ।इस चीज का विरोध वहां की आम जनता ने किया ।

अफगानिस्तान में सोवियत संघ का हस्तक्षेप

अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी ने इस विरोध को रोकने के लिए सोवियत संघ से मदद मांगी इसी कारण सोवियत संघ ने 24 दिसंबर 1979 में अपनी सेना को अफगानिस्तान में भेजा ।

अफगानिस्तान की आम जनता, मुस्लिम देश ,संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका ने इस चीज का विरोध किया कि इस किसी भी देश को दूसरे देश की अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए ।

परंतु इतना विरोध होने के कारण भी सोवियत संघ ने इनकी एक भी ना मानी और सोवियत संघ ने अफगानिस्तान के शहरों पर कब्जा कर लिया ।

सोवियत संघ के खिलाफ सभी विरोधी इकट्ठा हो गए उन्होंने इसे धार्मिक युद्ध और जिहाद का नाम दिया और सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने वाले मुजाहिदीन कहलाए ।

गुरिला युद्ध क्या है

सोवियत संघ के खिलाफ वहां की जनता ने गुरिला युद्ध का सहारा लिया।गुरिला युद्ध एक युद्ध की ऐसी तकनीक है जिसमें छुपकर बार किया जाता है ।वहां की जनता ने सोवियत संघ की सेना का बुरा हाल कर दिया इसलिए 1989 में सोवियत संघ ने अपनी सेना को वापस बुला लिया ।

अफगानिस्तान में गृह युद्ध

सन् 1989 से 1996 तक वहां पर ग्रह  युद्ध चला ।और अफगानिस्तान में नजीबुल्लाह कि सरकार गिर गई ।और इसके बाद उत्तर के क्षेत्र में अहमदशाह मसूद का शासन चला और दक्षिण के क्षेत्र में तालिबान का शासन चला और 5 साल गृह युद्ध के बाद पूरा शासन तालिबान के हाथ में हो गया ।

अफगानिस्तान में तालिबान शासन

सन् 1996 से 2001 अफगानिस्तान में तालिबान का शासन चला ।तालिबान के नेता मुल्ला उमर ने 5 साल शासन किया।और अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू कर दिया और  तालिबान को मान्यता पाकिस्तान ने दी थी ।

शरिया कानून क्या होता है

शरिया कानून एक ऐसा कानून है जिसमें सारे काम इस्लामिक उसूल के मुताबिक चलते हैं ।


अफगानिस्तान में अमेरिका का शासन
2001 से 2021 तक अफगानिस्तान में अमेरिका रहा ।तालिबान ने आईएसआई को मान्यता दी । आईएसआई के मुखिया अलकायदा ओसामा बिन लादेन था ।जिसने अमेरिका में 9/11 का हमला करवाया था ।उसके बाद अमेरिका ने आईएसआई के लीडर अलकायदा को मार गिराया इसके बाद अमेरिका नेअफगानिस्तान मे 20 साल रहा । 


2021 में अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा 

वर्तमान समय में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया उसका मुख्य कारण यह है कि वहां के राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग गए और अमेरिका भी अफगानिस्तान छोड़कर भाग निकला इसलिए वर्तमान समय में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया और अब वहां के प्रधानमंत्री मुल्लाह मोहम्मद है ।

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