छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे
छत्रपति शिवाजी महाराज एक वीर योद्धा थे इनका जन्म कुसूर नामक गांव मे 19 फरवरी 1630 में हुआ था और इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था ।
छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास
छत्रपति शिवाजी महाराज बचपन से ही एक वीर योद्धा और बुद्धिमान पुरुष थे ।क्योंकि इनकी माता बचपन से इन्हें सभी पौराणिक किताबें पढ़कर सुनाती थी जैसे भगवत गीता ,रामायण और बचपन में यह युद्ध कौशल मे निर्गुण हो गए थे । इनके अंदर बचपन से ही नेतृत्व की खूबिया दिखने लग गई थी । जब यह 15 वर्ष के थे तो यह मावल के जंगलों में 3 वर्ष रहे थे । उन्होंने देखा कि वहां के लोग बहुत ही शक्तिशाली है इन्होंने एक दिन अपने सभी दोस्तों और गांव वालों को बुलाया और कहा कि मराठाओ को मुगलो के नौकर के रूप में जाना जाता है उन्होंने कहा कि जो यह गुलामी है एक मानसिकता है हमें इस गुलामी से बाहर निकलना है और उन्होंने कहा कि हमें मराठों को इस गुलामी से आजाद करवाना है नाजिम सा और आदिल सा के गुलामी से मराठा को आजाद करवाने के लिए स्वराज यात्रा निकाली । उन पर कोई साधन ना होने के कारण इन्होंने छापामार युद्ध की नीति अपनाई और इसे गनिमी कावा भी कहा जाता था जिसमें कहीं से भी आकर दुश्मन पर हमला बोल देते थे । यह तकनीक हमेशा पहाड़ी इलाको और जंगलों में काम आती थी इन्होंने इस तकनीक को अपनाकर दक्षिण से उत्तर की ओर तक अपना साम्राज्य फैला लिया 1 दिन इन्हीं के लोगों के बीच में आदिल शाह ने इनके पिता को उठा लिया तो यह सोचने लगे कि अब अपने पिता को कैसे छुड़ाएं तो तभी दिल्ली पर शाहजहां का शासन होता था तो इन्होंने दोनों के बीच लड़ाई लगवा दी और उन्होंने शाहजहां से कहा कि आप उस पर दबाव डालो और मेरे पिता को छुपाओ और शाहजहां मान गया क्योंकि इन्होंने शाहजहां से कहा कि भविष्य में आपके कई युद्ध होने वाले है जिसमें मे आपकी मदद कर सकता हूं इन्होंने आज के समय में कहे जाने वाले गुजरात से लेकर कर्नाटक तक समुद्री सेना का गठन किया छत्रपति शिवाजी महाराज को father of Indian Navy भी कहा जाता है । आदिल शाह छत्रपति शिवाजी महाराज से बहुत ही तंग हो रहा था इसलिए इसने अपने सबसे बड़े जनरल अफसर खान को भेजा शिवाजी महाराज को मारने के लिए और फिर अफसर खान ने एक योजना बनाई इसे यह पता था कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक इमानदार इंसान थे इसलिए उसने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा और उस प्रस्ताव में यह लिखा हुआ था कि मैं तुमसे अकेले मिलना चाहता हूं शिवाजी महाराज ने इसके के लिए हां बोल दी फिर अफसर खान ने कहा कि ना मेरे पास कोई सेना होगी ना तुम्हारे पास कोई सेना होगी ना तुम्हारे पास कोई शस्त्र होगा ना ही मेरे पास कोई शस्त्र होगा शिवाजी महाराज इसके लिए भी तैयार हो गए इन से ढाई गुना लंबा चौड़ा अफसर खान जब इनसे गले मिलने आया तो इसने शिवाजी महाराज के पीठ पर पीछे से खंजर निकालकर घोंपा दिया ऐसा कुछ होने की शंका शिवाजी महाराज को पहले से ही थी इसलिए शिवाजी महाराज कपड़े के अंदर स्टील की जैकेट पहन रखी थी । शिवाजी महाराज ने भी अपना हाथ पीछे से खींचा तो इनका सिंह नक बांन बाहर निकल आया यह खंजर शेर के पंजे जैसा होता है । इस खंजर को उसके पेट में घोंपा दिया । शिवाजी महाराज एक ऐसे व्यक्ति थे जो कि हर तरह के युद्ध के लिए पहले से ही तैयार हो जाते थे । वे वहां पर नहीं रुके उसकी सेनाओं को मार कर प्रतापगढ़ किला जीत गए उसके 18 दिन बाद उन्होंने पन्हाला किले पर धावा बोलकर उसे जीत अपने अधीन कर लिया एक बार शिवाजी महाराज को एक बार हार का भी मुंह देखना पड़ा मिर्जापुर के राजा से युद्ध में शिवाजी महाराज हार गए और मिर्जापुर के राजा ने इनसे पुरंदर की टीटी साइन करवा ली और इनसे इनके 23 किले छीन लिया गए शिवाजी महाराज हारने के बाद भी नहीं रुके और कुछ सालों के बाद उन्होंने दोबारा हमला किया और 360 किलो जीत लिया ।
छत्रपति शिवाजी महाराज के विचार
छत्रपति शिवाजी महाराज औरतों का बहुत सम्मान करते थे । यह कहते थे किसी की मां स्त्री और बच्चे को कोई भी तंग नहीं करेगा तंग करता हुआ पकड़ा गया तो उसे जान से मार दूंगा क्योंकि एक जगह जहां मुगल दूसरे की स्त्री का जबरन अपहरण करके उनका रेप करते थे और दूसरी तरफ छत्रपति शिवाजी महाराज स्त्रियों का सम्मान करते थे ।
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