
👉👉सुबह के समय कब उठना अच्छा होता है सुबह के समय सबसे अच्छा समय 4:00 से 5:00 बजे का होता है ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय लोग गहरी नींद में होते हैं और इस समय वातावरण शुद्ध और शांति होती है इसलिए इस समय में उठना अच्छा होता है ! 👉👉योगा कब करना चाहिए . ( योग आत्मा को परमात्मा से मिलन करवाता है ) योगा हमेशा सुबह करना चाहिए ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय शुद्ध हवा और वातावरण शांति होती है और उस समय हमारा दिमाग शांत रहता है जिससे मैं अभी ध्यान लगा सकते हैं . 👉👉योगा का इतिहास योगा का इतिहास बहुत ऐतिहासिक है योगा की उत्पत्ति के विषय में स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।योग के द्वारा मनुष्य की छुपी हुई शक्तियों का विकास होता है योग संस्कृत भाषा के जज शब्द से लिया गया है योग संस्कृत भाषा के यूज शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है मेल या जोड़। पुरातात्विकविद के अनुसार योग को सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित दर्शाया जाता है और उनके आधार पर यह कहा जाता है कि भारत वर्ष में योग का आरंभ लगभग 3000 ईसा पूर्व हुआ था । 👉👉योग के प्रमुख चार प्रकार होते हैं . 1۔राज योग 2۔भक्ति योग 3۔कर्म योग 4۔ज्ञान योग. 👉👉योग के आठ अंग होते हैं . 1)۔यम : यम का अर्थ है संयम। यह पांच प्रकार के हैं -सत्य ,अहिंसा, ब्रह्मचार्य ,अपरिगह,अरतेय । 2)۔नियम : नियम मनुष्य के शारीरिक अनुशासन से संबंधित ढंग से हैं । यह भी पांच प्रकार के होते हैं -शौयसंतोष ,तप,स्वाध्याय ,ईश्वर ध्यान ,। 3)۔आसन : एक विशेष स्थिति जिसमें मनुष्य अपने शरीर को ज्यादा से ज्यादा समय तक स्थिर रख सकता है । 4)۔प्राणायाम :इस योग में सांस अंदर ले जाने व बाहर निकालने की विधि है । 5)۔प्रत्याहार : मन व इंद्रियों को अपने काम से हटाकर ईश्वर के ध्यान में लगाना । 6)۔धारणा : मन को एक विषय पर स्थिर करना । 7)۔ध्यान : इसमें सभी बंधनों से उठकर स्वयं में अंतर्ध्यान हो जाना । 8)۔समाधि : मनुष्य की आत्मा का परमात्मा मे लीन हो जाना ।. 👉👉विभिन्न योग क्रियाएंँ :
1)۔त्रिकोणासन :इस आसन टांगे चौड़ी करके खड़े हो जाए , दोनों टांगों के बीच डेढ़ फुट का फासला होना चाहिए ।फिर बाजों को साइड में कंधे के बराबर तक ऊपर की ओर उठाएं और धड़़ को नीचे की तरफ साइड में मोडे़ं ।बाएंँ हाथ से बाएंँ पैर के पीछे की ओर जमीन को छुएँ ।कुछ छड़ रुकने के बाद दूसरे बाजू से इस क्रिया को दोहराएँ ।
त्रिकोणासन के लाभ :त्रिकोणासन करने से पेट कमर, गर्दन कंधे ,हाथ ,पांव ,घुटनों तथा बाहों की मांसपेशियों पर काफी खिंचाव पड़ता है जिससे वे सबल ,पुष्ट और लचीला बनती हैं । यह आसान उपयुक्त अंगों का दर्द दूर करने तथा शरीर में रक्त संचार बढ़ाने में भी अत्यंत कारगर है .
2).ताड़ासन : सबसे पहले सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएंँ तथा अपने भाइयों को ऊपर की तरफ उठाएंँ ।अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचे ।सात अपनी एडी़ भी ऊपर उठाएंँ और अपने पंजों के बल खड़े हो जाएँ ।इस क्रिया को 10 से 20 बार दोहराएंँ
ताड़ासन के लाभ :यह आसन लंबाई बढ़ाने के लिए बहुत अच्छा है इसके करने से प्रसवा पीड़ा में कमीआती है लकवे में लाभ होता है । रक्तचाप ठीक रहता है ।
3).वजासन : सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़कर एड़ियों पर नितंब हुए घुटनों के बल बैठ जाए ।दोनों पैरों के पंजे एक दूसरे पर चढ़े रहें ।दोनों घुटने आपस में मिले हुए और सीधे रखें ।कमर भी बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए।इसके बाद दोनों घुटनों पर दोनों हथेलियां टिका दे।सास को अंदर और बाहर खींचते हुए निकालो ।
वजासन के लाभ :वजासन करने से घुटनों, टांगो तथा कमर का दर्द नष्ट होता है ।जिससे हाथों के जोड़ बहुत मजबूत बनते हैं ।यह सायटिका का दर्द दूर करने में भी उपयोगी है ।
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)۔पद्मासन : किसी समतल स्थान पर कंबल बिछाकर बैठ जाएँ। इसके बाद बाएं पैर की एड़ी और पंजे को दोनों हाथों पर सहारा देते मोडकर दाई जांघ पर रखें ।बाई एडी़ को जंघामूल (नाभि के नीचे ) के दाई और सटा दें ।बायां पंजा दाईं जांघ पर रहे । फिर दाएं पैर के पंजे और एडी़ को दोनों हाथों का सहारा देकर धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए नाभि की ओर मोड़कर बाएं जंघामूल से सटा दीजिए ।एडी का दबाव पैरों पर पड़े तथा दाया पंजा बाई जांघ पर हो।अब दाएं हाथ को दाएं घुटने पर तथा बाएं हाथ को बाएं घुटने पर रखिए ।पीठ और गर्दन बिल्कुल सीधे रहे ।
पद्मासन करने के लाभ : पद्मासन करने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है ।यह मेरुदंड को सीधा संबल और लचीला बनाने में भी अत्यंत लाभदायक है जिससे जांघें तथा बांहें पुष्ट होती है ।
5)۔
वृक्षासन : इस आसन में शरीर की स्थिति एक वृक्ष की भांति होती है ।सबसे पहले एक पैर पर खड़े हो जाएँ तथा दाएंँ पैर के तलवे को बाएंँ पैर की जांँघ पर लगा लें।संतुलन बनाते हुए दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर अपने सिर से ऊपर उठाए ।फिर दूसरी टांग के हाथ इस क्रिया को दोहराएंँ।
वृक्षासन के लाभ :वृक्षासन करने से मस्तिष्क की ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है ।तथा शरीर में संतुलन बनता है ।और टांगों की मांसपेशियां तथा स्नायु तंत्र सही रहता है ।
6)۔
पवनमुक्तामन : पंजे और एडी को जमीन पर रखते हुए कमर के बल सीधा लेट जाएं एडी पंजे मिलाएं ।दोनों पांव को मोड़े ,दोनों हाथों की उंगलियों का ग्रुप बना कर घुटने को पकड़े ।सांस भरे भरे हुए सांसी मैं घुटने से पेट को अधिक से अधिक दवाई ।सास छोड़ते हुए ठोड़ी को घुटने से लगाए ।सांस लेते हुए सिर वापसी तथा सास छोड़ते हुए दोनों पांव वापसी की स्थिति में ले जाए ।
पवनमुक्तासन के लाभ :पीठ में पेट की मांसपेशियां सशकत होती हैं। वायु विकराल दूर होता है ।आते,जिगर ,तिल्ली ,आमाशय के विकार समाप्त होते हैं ।पेट का मोटापा कम होता है ।मधुमेह रोग में लाभदायक होता है ।
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चक्रासन :दोनों पैर सीधे करते हुए कमल के बल लेट जाये।दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एड़ियों से नितंमबों को स्पर्श करते हुए रखें ।दोनों हाथों को मोड़कर कंधों के पीछे रखें ।हाथों के पंजे अंदर की ओर मुड़े रहे ।हाथों और पैरों के ऊपर पूरे शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठा दे ।हाथ और पैरों में आधे फुट का अंतर रहे तथा सिर दोनों हाथों के बीच में रहे ।शरीर को ऊपर की ओर अधिक से अधिक खिंचाव दें जिससे कि चकरा कार बन जाए ।
चक्रासन के लाभ :पूरे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है जिससे रक्त संचार ,मांसपेशियां में हड्डियों में लचीलापन आता है ।कमर दर्द को दूर करता है ,फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है इससे शरीर की कार्य क्षमता बढ़ती है ।
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भुजंगासन : इस आसन में शरीर की आकृति एक सांप जैसी होती है इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाए तथा अपने हाथों को कंधों के पास रखें।अब बाजू को धीरे धीरे सीधा करें और छाती को ऊपर उठाएं ।सिर का खींचा पीछे की तरफ होना चाहिए ।कुछ देर तक इस अवस्था में रहे। फिर पहले जैसे हो जाए ।इस आसन को 4 से 5 बार करें ।
भुजंगासन के लाभ :यह आसन थायराॅयड गथि में उत्तेजना बढ़ाता है और यह पाचन संस्थान की कार्य कुशलता में वृद्धि करता है तथा यह कब्ज की शिकायतों को खत्म करता है ।
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